प्यार करते हो जताने की ज़रूरत क्या है
हम पे मरते हो दिखाने की ज़रूरत क्या है
हम तो ऑंखों से नशा कर ही चुके हैं पहले
ज़ाम हाथों से पिलाने की ज़रूरत क्या है
सामने वाले घर से तो उठेगी डोली
घर हमारा भी सजाने की ज़रूरत क्या है
हम अकेले तो रहेंगे ही नहीं उस घर में
तो भला हमको ठिकाने की ज़रूरत क्या है
हमको मालूम ये मज़दूरी न होगी तुमसे
तो तुम्हें यार कमाने की ज़रूरत क्या है
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