ग़ज़ल:-अगर कह दो

इसी तस्वीर के कदमों में दिल रख दूं ,अगर कह दो ।
तुम्हे अपनी मुहब्बत का ख़ुदा मानूं , अगर कह दो ।

तराशे लब, हसीं आंखें , परी चेहरा , ये तुम हो क्या ।
तुम्हे देखूँ ,तुम्हे चाहूँ , तुम्हे पूजूँ ,अगर कह दो ।

ये चेहरा उफ़्फ़ कि महका हो कोई गुलशन पहाड़ों पर ।
तुम्हे एहसास के पंखों से मैं छू लूँ ,अगर कह दो ।

मेरे सारे ख़यालों से भी ज़्यादा ख़ूबसूरत हो ।
तुम्हे अशआर के ज़ेवर मैं पहनाऊं ,अगर कह दो ।

तुम्हारी याद की डल झील में गहरे उतर जाऊं ।
तुम्हारे ज़ाफ़रानी इश्क़ को जी लूँ ,अगर कह दो ।

इन्हीं होठों पे बिखरे सुर चुरा लूँ औ ख़बर ना हो ।
तुम्हारी शान में फिर मैं ग़ज़ल छेड़ूँ , अगर कह दो ।

अगर कश्मीर जन्नत है तो उसका अक्स है तुझमें ।
मैं जन्नत के उजालों में सिमट जाऊं , अगर कह दो ।

…………

ग़ज़ल-संग्रह- ” क्या मुश्किल है ” से …..

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रचनाकार

Author

  • कमलेश श्रीवास्तव

    कमलेश श्रीवास्तव पिता-श्री शिवचरण श्रीवास्तव माता-श्रीमती गीता देवी श्रीवास्तव जन्म तिथि- 14 अगस्त 1960,श्री कृष्ण जन्माष्टमी जन्म स्थान- सिरोज, जिला विदिशा, म.प्र. शिक्षा-एम.एससी.(रसायन शास्त्र) साहित्यिक गतिविधियाँ- आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से रचनाओं का प्रसारण विभिन्न पत्र एवं पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन हिन्दी उर्दू काव्य मंचों पर काव्य-पाठ| कृतियाँ/प्रकाशन- नवगीत संग्रह समांतर-3, गज़ल संग्रह "वक्त के सैलाब में" एवं गज़ल संग्रह "क्या मुश्किल है" का प्रकाशन सम्प्रति- शाखा प्रबंधक एम.पी. वेअर हाऊसिंग एण्ड लॉजिस्टिक्स कार्पोरेशन शाखा पचौरी, जिला-रायगढ़ में शाखा प्रबंधक के रूप में पदस्थापित| संपर्क सूत्र- 269"धवल निधि" बालाजी नगर,पचौर, जिला- रायगढ़, म. प्र.,पचौर 465683 मो-09425084542 email-kamlesh14860@gmail.comCopyright@कमलेश श्रीवास्तव / इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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