गमे रुसवाई

गमे रुसवाई ज़ख्म दर्द-ए- जलन क्या है।

ऐ नये साल बता तुझमें नयापन क्या है।।

चांद को छूने की उम्मीदें पाल ली हमने,

पूरी जो हो न सके ऐसा शौके मन क्या है।।

कमा कमा के खूब तिज़ोरी भरी हमने,

वक्त पे काम न आए तो फिर वो धन क्या है।।

तलास रहा है सहरा में ज़िन्दगी के गुल,

सुकून दे न सके ऐसा अंजुमन क्या है।।

दीया जलाने मेरी कब्र पर आने वाले,

शेष जो ऑंख न छलकी तो वो मिलन क्या है।।

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रचनाकार

Author

  • शेषमणि शर्मा 'शेष'

    पिता का नाम- श्री रामनाथ शर्मा, निवास- प्रयागराज, उत्तर प्रदेश। व्यवसाय- शिक्षक, बेसिक शिक्षा परिषद मीरजापुर उत्तर प्रदेश, लेखन विधा- हिन्दी कविता, गज़ल। लोकगीत गायन आकाशवाणी प्रयागराज उत्तर प्रदेश। Copyright@शेषमणि शर्मा 'शेष'/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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