गमे रुसवाई ज़ख्म दर्द-ए- जलन क्या है।
ऐ नये साल बता तुझमें नयापन क्या है।।
चांद को छूने की उम्मीदें पाल ली हमने,
पूरी जो हो न सके ऐसा शौके मन क्या है।।
कमा कमा के खूब तिज़ोरी भरी हमने,
वक्त पे काम न आए तो फिर वो धन क्या है।।
तलास रहा है सहरा में ज़िन्दगी के गुल,
सुकून दे न सके ऐसा अंजुमन क्या है।।
दीया जलाने मेरी कब्र पर आने वाले,
शेष जो ऑंख न छलकी तो वो मिलन क्या है।।
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