ये आजादी नहीं हमने,
कोई उपहार पाई है।
हमारे राष्ट्र भक्तो ने,
लड़ी कितनी लड़ाई है।।
न जाने लाल कितने,
इस जगत जननी ने हैं खोए।
तभी जाके सभी अवनी में,
हम सब चैन से सोए ।।1।।
ये केवल है नहीं धरणी,
इसे अम्बा बुलाते हम।
अगर रक्षा की खातिर,
जान भी जाये नहीं है गम।।
सदा से पूजते आये,
जिसे हम मातृवत अपने।
सबब होगी अगर इसको,
कलम ‘सर’ भी करेंगे हम।।2।।
सदा से शांति के द्योतक,
न हमको ‘तंग’ समझो तुम।
रहें सरहद पे जो अपनी,
न हमको पंगु समझो तुम।।
हमारे कारनामें विश्व में,
विख्यात कितने हैं।
अगर मालुम नहीं तुमको,
तो जा ब्रिटेन पूछो तुम।।3।।
बहादुर देश में ऐसे,
बिना कुछ कर बहुत देते।
नहीं देते जो अपने देश को,
तुमको कहाँ देते।
करो नाकाम कोशिश न,
हमें बेजार करने की।
हैं कितने हम अभी सुधरे,
बता पल भर में देंगे हम।।4।।
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