मां मैं बाजार रंग लेने जा रही हूं
अरे परी मत जा देख ना कितना हुडदंग हो रहा है होली का इस समय अकेले जाना ठीक नहीं शाम को तेरे पिता जी आयेंगे तब ले आयेंगे देख कल होली का त्योहार है तू मेरे साथ गुझिया बनवा ले मां ने चिंता से कहा
परी करीब 11 साल की बच्ची थी और बहुत चुलबुली व मासूम थे
अरे जाए देव ना बहुरिया अब ना मस्ती करिहे तब कब करिहे बाहर बैठी दादी बोली
दादी की बात सुनकर परी बोली अच्छा मां मैं सोनू को साथ ले जाती हूं
सोनू केवल 8 साल का है उसको ले जाकर क्या होगा परी बात मान जा बेटा अभी मत जा मां फिर से बोली
अरे मां होली पर रंग नहीं खेलेंगे तो कब खेलेंगे कहते हुए परी बाहर की तरफ रंग लाने के लिए भाग गई
दोपहर से शाम हो गई लेकिन परी नही लौटी मां का चिंता के कारण बुरा हाल था जैसे ही रमेश (परी के पिता जी ) आए उन्होंने दौड़ कर सारी बात बताई ,
रमेश ने सुजाता ने सब तरफ ढूंढा परी का कहीं पता नहीं चला
ढूंढते ढूंढते रात हो गई फिर रात से सुबह हो गई परी अब तक नहीं आई थी
रमेश सुजाता गांव से कुछ लोगों को लेकर पुलिस स्टेशन पहुंचे कंप्लेन करी गई पुलिस ने खोजबीन शुरू की लेकिन कुछ पता नहीं चल रहा था
फ्लैश बैक
परी भागते हुए दुकान पर पहुंची बोली चाचा जरा रंग देना
हां हां बेटा अभी लाया बोल कर चाचा दुकान के भीतर चले गए
थोड़ी देर बाद चाचा की आवाज आई अरे परी बिटिया बहुत सारे रंग हैं अंदर आकर देख लो कौन कौन सा चाहिए
परी भागते हुए दुकान के अंदर गई और तभी शटर बंद हो गया
उस दोपहर परी पर ना जाने क्या क्या जुल्म हुए और कितने दिनों तक होते रहे आखिर में परी गायब हो गई
आज का दिन
ढूंढते ढूंढते पुलिस गांव की दुकान पर पहुंची वहां पूछताछ की छान बीन हुई लेकिन पुलिस के हाथ कुछ नहीं लगा
इस घटना को 10 साल हो गए हैं और परी आज भी गायब है और भी ना जाने कितनी बच्चियां महिलाएं हर रोज गायब होती हैं और कभी नहीं मिलती हैं
क्यों कुछ लोग दूसरे की बेटियों को गंदी नजर से देखते हैं और मौका मिलते ही पूरा फायदा उठा लेते हैं
होली जैसे पवित्र त्योहार जिसमें बुराई रूपी होलिका का अंत हुआ था उसमें बुरा न मानो होली है कह कर हर तरह की अभद्रता का लाइसेंस ले लेते है
इस तरह के कुकृत्य पर पूरी तरह रोक लगनी चाहिए और अपनी बेटियों को आत्मरक्षा के गुर जरूर सिखाएं
कोई भी त्योहार खुशियां लेकर आता है तो किसी को हक नहीं है किसी की खुशियां छीन लेने का और अगर कोई ऐसा करता है तो उसके लिए कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान होना चाहिए ..दिन में या रात में किसी भी समय जब निडर होकर महिलाएं निकल सकेंगी बिना किसी भय के तब हमारा हर दिन होली और हर रात दिवाली होगी …एक ऐसी होली के इंतजार में……….