एक ख़त पुराना मिल गया रंगीन ज़माना मिल गया
एक शायरी आशिकी वो दीवानी-दीवाना मिल गया…..
एक राह थी अनजान थे कोई मोड़ था कोई दौर था
उन राहों से गुज़रे कभी तो दिल फ़साना मिल गया..
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एक ख़त पुराना मिल गया रंगीन ज़माना मिल गया
एक शायरी आशिकी एक दीवानी-दीवाना मिल गया…
एकचितचोर नजरें थीं बड़ी नजरों का मिलना हो गया
पलकें झुकीं शर्मो हया तो शामों में ठिकाना हो गया…
दिल के हिलोरें थे जवा कश्ती जवां हम तुम भी जवां
कुछ तुम बढ़े कुछ हम बढ़े मिलते ही फ़साना बन गया …
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