रूढ़िवादिता को खंडित करती
आज की आधुनिक नारी हूँ मैं,
मान मर्यादा की इज्जत रखती
सुदृढ़ और संस्कारी हूँ मैं.!
त्याग,समर्पण,सहनशीलता से
मिटा देती मैं ख्वाईशें अपनी,
दूसरों की खुशियों पे सदैव
ज़िंदगी अपनी वारी हूँ मैं.!
संभालती हूँ मैं घर,किचन,
बच्चे और दफतर भी..
देश की बागडोर सम्भालने
से भी,नही कभी हारी हूँ मैं!
मेरे ज्ञान,निपुणता की पहुँच से
कोई भी क्षेत्र अब दूर नही,
ऑटो,कार,बस, वायुयान क्या,
अंतरिक्ष में भी भरी उडारी हूँ मैं!
सती सावित्री बन कर मैं,
प्राण रक्षक बन जाती कभी,
कभी संहार करती दुष्टों का
दुर्गा काली की अवतारी हूँ मैं!
मैं लक्ष्मी, सरस्वती अन्नपूर्णा
अन्न,धन,विद्या का भंडार हूँ,
सशक्त शक्ति का संचार करती
हर विपदा पे भारी हूँ मैं.!
मनुज मानव देवता भी सब
मेरे आँचल में पलते हैं..
मैं जगजननी नव सृजन करती
जन-जन की पालनहारी हूँ मैं.!
माँ, बेटी,पत्नी और बहन बनकर,
निभाती किरदार,कष्टों में सनकर,
हूँ फुलवारी,कभी दबी चिंगारी हूँ मैं,
मत समझो अबला बेचारी हूँ मैं.!
रूढ़िवादिता को खंडित करती
आज की आधुनिक नारी हूँ मैं!


