अश्लीलता और सोशल मीडिया

अश्लीलता और सोशल मीडिया

आज के डिजिटल युग में सोशल मीडिया ने संचार, मनोरंजन और जानकारी के आदान-प्रदान के तरीके में क्रांतिकारी परिवर्तन किए हैं। इस विशाल प्लेटफॉर्म ने लोगों के बीच जुड़ाव को बढ़ावा दिया है, लेकिन साथ ही इसमें कई नकारात्मक पहलू भी सामने आए हैं। उनमें से एक प्रमुख मुद्दा है अश्लीलता का प्रसार, जो समाज के नैतिक और सामाजिक मूल्यों पर गहरा प्रभाव डाल रहा है।

सोशल मीडिया पर अश्लीलता की समस्या विभिन्न रूपों में प्रकट हो रही है। इसमें अश्लील वीडियो, तस्वीरें, आपत्तिजनक भाषा और गलत संदेश शामिल हैं, जो खासकर युवाओं पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। इन सामग्रियों का बिना रोक-टोक प्रसार युवा मन में भ्रांति, असुरक्षा और नैतिक गिरावट की ओर ले जा सकता है। इंटरनेट की अनगिनत संभावनाओं के बावजूद, इन अश्लील सामग्रियों के नियंत्रण में विफलता समाज में नैतिकता और संस्कृति के क्षरण का कारण बन रही है।

अश्लीलता के प्रसार के कई कारण हैं। सबसे बड़ा कारण है सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर नियंत्रण की कमी। अक्सर इंटरनेट पर सामग्री की जांच और नियंत्रण के लिए निर्धारित नीतियाँ अपर्याप्त या कमजोर होती हैं, जिससे अश्लील सामग्री तेजी से फैल जाती है। इसके अलावा, सोशल मीडिया पर अज्ञात और अनाम व्यक्तित्व होने की वजह से लोग बिना किसी भय के आपत्तिजनक सामग्री साझा कर देते हैं। इससे न केवल सामग्री का प्रसार होता है, बल्कि इसे बढ़ावा देने वाले समूहों को भी प्रोत्साहन मिलता है।

समाज में अश्लीलता के प्रभाव दूरगामी होते हैं। बच्चों और युवाओं के मन पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है, जिससे वे गलत मूल्य और नैतिकता अपना सकते हैं। यह समस्या न केवल उनके मानसिक विकास में बाधा डालती है, बल्कि भविष्य में अपराध की ओर भी प्रेरित कर सकती है। साथ ही, अश्लील सामग्री का लगातार सेवन सामाजिक रिश्तों में दूरी, अविश्वास और असमानता को जन्म देता है, जिससे समाज में नैतिकता की कमी देखने को मिलती है।

इसके समाधान के लिए सरकार, सामाजिक संस्थाएँ और तकनीकी कंपनियों को मिलकर कार्य करना होगा। सरकार को चाहिए कि वह सोशल मीडिया पर अश्लील सामग्री के प्रसार पर कड़ाई से रोकथाम हेतु कानून बनाए और उनका सख्ती से पालन सुनिश्चित करे। इसके साथ ही, तकनीकी कंपनियों को भी अपने प्लेटफॉर्म पर सामग्री की मॉनिटरिंग के लिए उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल करना चाहिए। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग जैसी तकनीकों की मदद से अश्लीलता से संबंधित सामग्री को त्वरित रूप से पहचान कर हटा दिया जा सकता है।

साथ ही, माता-पिता और शिक्षकों का भी महत्वपूर्ण योगदान है। उन्हें अपने बच्चों और युवाओं को इंटरनेट के सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं के बारे में जागरूक करना चाहिए। डिजिटल साक्षरता के कार्यक्रमों के माध्यम से युवाओं को यह समझाया जाना चाहिए कि इंटरनेट का सही और सुरक्षित उपयोग कैसे किया जाए। इससे न केवल अश्लील सामग्री के प्रभाव को कम किया जा सकेगा, बल्कि युवा पीढ़ी में नैतिकता और संवेदनशीलता का विकास भी होगा।

अंततः, सोशल मीडिया का सकारात्मक उपयोग तभी सुनिश्चित किया जा सकता है जब हम उसके नकारात्मक पहलुओं पर नजर रखते हुए समाधान खोजें। अश्लीलता के प्रसार को रोकना समाज के नैतिक और सांस्कृतिक ढांचे को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सोशल मीडिया एक ऐसा माध्यम है, जो ज्ञान, रचनात्मकता और सकारात्मकता का संचार करने में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

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रचनाकार

Author

  • Dr. Rishika Verma

    Dr. Rishika Verma is working as Assistant Professor, Department of Philosophy, School of Humanities and Social Sciences in Hemavati Nandan Bahuguna Garhwal University, Srinagar (Garhwal) Uttarakhand, A Central University. She Completed her higher education, B.A., M.A., Ph.D. and Post-Doctoral Fellowship from Banaras Hindu University, Varanasi. Her 30 Research papers are published in National and international, UGC CARE and UGC listed journals. She presented 34 papers in national and international seminars and conferences. She has wirtten 3 books till now. she got many Awards and Samman like International Educationist Award, Best Young Woman Faculty Award, National YogaRatna Award, Sahitya Gaurav Samman, Hindi Utkrisht Sahitya Seva Samman, Woman Icone Award.

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